हरिद्वार एक ऐसा शहर जहाँ माँ गँगा पहाड़ी इलाको से निकल कर समतल भागो में प्रवेश करती है। हरिद्वार उत्तराखंड राज्य का एक Distic है। Haridwar City सबसे पुरानी और धार्मिक शहरों में से एक है।
अगर Haridwar का संधि विच्छेद किया जाये तो हरी + द्वार , यहाँ हरी का मतलब भगवान विष्णु और द्वार का मतलब घर , मतलब की अगर एक लाइन में Haridwar का meaning बोला जाये तो भगवान विष्णु का घर। Haridwar को पहले हरद्वार भी बोला जाता था। जिसका अर्थ भी same ही होता है।
अगर हम संस्कृत में हरद्वार की meaning जाने तो hara मतलब भगवान शिव और Dwara मतलब दरवाजा , मतलब की भगवान शिव के लिए Gatwey .इसे मायापुरी या मोक्छ द्वार के नाम स भी जाना जाता है।
हरिद्वार को सबसे पवित्र क्यूँ माना जाता है?
Haridwar को हिंदुंओ के लिए सात सबसे पवित्र स्थानों में से एक मन जाता है। उज्जैन , नाशिक और प्रयाग के अलवा Haridwar में भी अमृत की बून्द ले जाते समय गलती से गरुड़ के द्वारा गिर गई थी। इसलिए इन चारों जगहों पर हरेक 12 साल के बाद कुम्भ मेला लगता है।Haridwar में 2020 में कुम्भ मेला लगेंगे।
कुम्भ मेला के समय Haridwar में करोडो की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते है , और गँगा के किनारे डुबकी लगते है। बोला जाता है की एक बार गँगा में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सारे पाप धूल जाते है ,
Haridwar में जहाँ अमृत गिरा था उस स्थान का नाम Bhrama कुंड है जो की हर की पौड़ी में है।
हरिद्वार को एक और कारणों से जाना जाता है यहाँ माँ सती का घर और राजा दक्ष का घर है।
Haridwar Headquarter और जिले का सबसे बड़ा शहर है। आज हरिद्वार अपने विकाश में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा। यहाँ औधोयगीकि विकाश निगम (SIDICUL ) और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल ( BHEL ) दोनों अच्छे से भागीदारी निभा रहे है।
Haridwar कैसे पहुंचे? How To Reach Haridwar?
हरिद्वार भारत के उतरी इलाके में है। यहाँ पहुंचने के लिए हरेक परिवहन के साधन मौजूद हैं। अगर आप Delhi से आ रहे है तो आप Train से या Plane से या फिर आप बस से आ सकते हैं।
अगर आप ट्रेन से Haridwar आते है तो Delhi Station से हरेक 2 -3 घंटे पर एक Train है।
अगर आप Aeroplane से आना चाहते है तो आपको हरेक 1 घंटे में Delhi से Flight मिल जाएँगी। हरिद्वार से जॉली ग्रांट एयरपोर्ट 40 km की दूरी पर है।
और अगर आप बस से आना चाहते है तो हरेक 20 मिनट में एक बस Haridwar के लिए है।
Haridwar की दुरी 250 किलोमीटर दिल्ली से और मसूरी से 220 किलोमीटर है।
Haridwar में घूमने की जगह ? places to visit in haridwar
अगर आप Haridwar Tour पर है या आप मन बना रहे है, हरिद्वार घूमने का तो इन जगहों पर जरूर घूमे। हम आपको कुछ ऐसे स्थानों के बारे में बताएँगे जो की बहुत ही अच्छी और दर्शनीय योग है।
Har Ki Pauri हरिद्वार

वैसे तो Haridwar में बहुत सारे घाट हैं , लेकिन हर की पौड़ी गंगा के किनारे सबसे प्रसिद्ध घाट है।हर की पौड़ी का अर्थ होता है , हरी का पैर , ऐसा मना जाता है की भगवान विष्णु ने सबसे पहले इस स्थान पर पैर रखा था। यह घाट राजा विक्रमदिया के द्वारा ( 1 शताब्दी इसा पूर्व ) अपने भाई भरथरी की याद में बनाई गई थी। ऐसा माना जाता है की भरथरी इसी घाट पर भगवान विष्णु का ध्यान किया था। तभी से इसका नाम Har ki Pauri पड़ गया।
हर की पौड़ी में सबसे प्रसिद्ध घाट ब्रम्हकुण्ड है , जहाँ हरेक शाम भगवान शिव या विष्णु की उपस्थित में माँ गँगा की आरती की जाती है। आरती करने के बाद सारे श्रद्धालु माँ गँगा के किनारे धुप दीप जला कर अपने पूर्वज को याद करते है। दुनिया भर से श्रद्धालु इस आरती के देखने के लिए आते है। अगर आप हरिद्वार आये तो ये आरती में जरूर शामिल हो। आरती में सम्मिलित मात्र से हि सारे पापों का नाश हो जाता है।
इस घाट पर 1910 ईस्वी में पंडित मदन मोहन मालवी ने सबसे पहले गंगा आरती की थी। उसदिन से आज तक माँ गंगा की आरती होते आ रही है।
हररोज 5 – 10000 तक लोग गंगा स्नान के लिए लोग आते है। लेकिन जब कोई पर्व का दिन जैसे अमावस या पूर्णिमा हो तो ये 30000 तक लोग यहाँ आते है।
Har Ki Pauri हरिद्वार आरती का समय
- आरती का समय ( Aarti Of Time at Har ki pauri ) – माँ गँगा की आरती दिन में 2 बार की जाती है एक बार सुबह और एक बार शाम को। आरती पुरे एक घण्टे की होती है। गर्मी के दिनों में :- सुबह 5:30 से 6:30 और शाम को 5:30 से 6:30 सर्दिओं में :- सुबह 6:00 से 7:00 और शाम को 6:00 से 7:00
अगर आपको गंगा की आरती का मज़ा लेना हो तो आपको आरती के टाइम से 1 घंटा पहले घाट पर जाना होगा , अच्छे से देख सकते हैं।
दशहरा की रात या कुछ दिन पहले गँगा नहर की सफाई के लिए सुख जाती है और फिर दिवाली के दिन फिर से पानी बहाल की जाती है। ऐसा माना जाता है की दशहरा के समय माँ गँगा अपने पिता के घर चली जाती है और फिर भाईदूज के दिन आती है।
chandi devi temple haridwar
चंडी देवी मंदिर का निर्माण सन 1929 A. D. में राजा सूचित सिंह के द्वारा किया गया था। यह मंदिर गंगा तट के ऊपर नील पर्वत पर है। यहाँ माँ चंडी का वास होता है। इस मंदिर का उलेख्य सकन्द पुराण में की गई है।ऐसा माना जाता है की , आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा आठवीं शताब्दी में यहाँ मूर्ति स्थापित की गई थी। यह मूर्ति चंडी घाट से 3 किलोमीटर की दुरी पर है , जो की पहाड़ पर है। इस मंदिर पर Ropeway (उड़नखटोला) के द्वारा जाया जाता है।
माया देवी मंदिर :-
ऐसा कहा जाता है की , माया देवी मंदिर में देवी सती का दिल और नाभि गिरा हुआ था। यह मंदिर Haridwar के प्राचीन मंदिरों में से एक है।
सर्वेश्वरी देवी मंदिर :-
Haridwar के बाहरी इलाके रानीपुर में माँ सर्वेश्वरी देवी का मंदिर है। यह मंदिर Raja ji National Tiger Reserve के बीचो बिच स्थित है। इस मंदिर में साधु , संतो का निवास होता है। इस मंदिर में जाने से पहले आपको वन विभाग से अनुमति लेनी होती है। यह मंदिर भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स की सीमा पर है।
शांतिकुंज :-
राम शर्मा के द्वारा सन 1971 में शांतिकुंज की स्थापना की गई थी। यह गायत्री परिवार के मुख्यालय है। यहाँ आने के बाद लोगों को अशीम शांति का अहसास होता है। यह Haidwar Railway Station से 6 km की दुरी पर Rishikes Dehradun के मार्ग NH 58 की तरफ स्थित है।
पतंजलि योगपीठ हरिद्वार
Patanjali योग पीठ Delhi – Haridwar के मार्ग में स्थित है। यहाँ स्वामी रामदेव का योग संस्थान और शोध केंद्र है। यहाँ हर रोज हजारों की संख्या में लोग योगा सिखने के लिए आते है। यह संस्थान 2006 में स्थापित की गई थी जो की अब एक बड़े उत्पाद में गिनती की जा रही है। यह Haridwar Railway Station से 25 किलोमीटर की दुरी पर है।
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार
मनसा देवी मंदिर बिलवा पर्वत के शिर्ष पर स्थित है। इस मंदिर की मान्यता ये है की अगर कोई भी मनत मांगी जाये तो वो पूरी हो जाती है। यहाँ आप उड़नखटोला या फिर पैदल जा सकते है। यह मंदिर हर की पौड़ी के नजदीक है। यह मंदिर माँ दुर्गा और काली का है। यह मंदिर Haridar Railway Station से 3 Km की दुरी पर है। यह मंदिर हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहाँ मुख्य मंदिर में दो मुर्तिया रखी गई है , जिसमे एक मूर्ति के तीन मुँह और हाथ में पांच हथियार है , जबकि दूसरी मूर्ति के एक मुँह और हाथ में आठ हथियार है।
मंदिर सुबह 8 बजे से शाम को 5 बजे तक खुला रहता है। यहाँ भी जम्मू कश्मीर के वैष्ण्व मंदिर की तरह लोग यहाँ एक पेड़ में धागा बांध कर आते है। और जब मनोकामना पूरी हो जाती है तब इसे खोलने जाते है। चुकी यह मंदिर haridwar के ठीक बगल में है इसलिए यहाँ से Haridwar का खूबसूरत नजारा देखने को मिल जाता है।
दक्ष महादेव मंदिर :-
दक्ष मंदिर Haridwar Railway Station से 5 KM की दुरी पर है। यह Haridawr के कनखल में स्थित है। राजा दक्ष भगवान शिवजी के ससुर और ब्रम्हा जी के सुपुत्र थे। हिन्दू ग्रंथो के मुताबिक राजा दक्ष ने एक यग किया जिसमे जानबूझकर भगवान शिव को नहीं बुलाया। नहीं बुलाने के वाबजूद और भगवान शिवको बहोत मना करने के बावजूद माँ पार्वती उस यग समारोह में चली गई और वहाँ उन्हें बहुत अपमान का सामना करना पड़ा।
अपमानित होने के बाद माँ पार्वती ने उसी यग कुंड में खुद को समर्पित कर दी। जब यह खबर भगवान शिव को पता चला तब उन्होंने क्रोध में आ कर राजा दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया बाद में जब उनका गुस्सा शांत हुआ तब , माँ पार्वती को फिर से जीवित किये और राजा दक्ष को बकरे का सिर लगाया गया।
यहाँ सती कुंड भी है , जहाँ माँ पार्वती ने खुद को आग में समर्पित किया था।
निल धारा पक्षी विहार :-
यह पक्षी अभ्यारण गँगा नदी और निल धारा के भमगौड़ा dam के मध्य स्थित है।यह चिडयों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। यहाँ सर्दिओं में प्रवासी चिड़िओं का आगमन होता है। अगर आप पंछीओ से बहुत लगाव रखते है तब इस स्थान पर जरूर जाएँ। यह Haridwar Railway Station से 3 किलोमीटर की दुरी पर है।
भीम गौड़ा टैंक :-
यह टैंक हर की पौड़ी से 1 KM की दुरी पर है। ऐसा कहा जाता है की पांडव Haridwar की ओर से हिमालय पर्वत को जा रहे थे तब , राजकुमार भीम ने अपने घुटनो को जमीन पर जोर देकर चटानों से पानी खींचा था। तब से ये जगह एक टैंक के रूप में हो गया।
पवन धाम :-
पवन धाम पूरी तरह कांच के टुकड़ो से बना है। यह एक आधुनिक मंदिर है और अब यह एक लोकप्रिय पर्यटन सथल बन गया है। यह मंदिर पंजाब के लोगो द्वारा बनाई गई है।
भारत माता मंदिर :-
यह मंदिर में आठ मंजिल है। हरेक मंजिल पर अलग अलग मूर्ति रखी गई है।
- पहला मंजिल – इस मंजिल पर भारत माता की मूर्ति है।
- दूसरी मंजिल – इस मंजिल पर शुर बिरों की मूर्ति रखी गई है।
- तीसरी मंजिल – भारत की सम्मानित महिलाओं की मूर्ति रखी गई है , जैसे की – राधा , मीरा , द्रोपदी , अहिल्या , सावित्री , अनसुइया , मैत्री आदि की मुर्तिया रखी गई है।
- चौथी मंजिल – ये मंजिल सभी धर्मो को समर्पित है। सारे धर्मो की फोटो लगी है।
- पाँचवी मंजिल – इस मंजिल पर सभी धर्मो के इतिहास को दीवारों पर वर्णित किया गया है।
- छठी मंजिल – देवी शक्ति के विभिन रूपों को इस मंजिल पर देखा जा सकता है है।
- सातवीं मंजिल – भगवान विष्णु के सारे अवतार को इस मंजिल पर देखा जा सकता है।
- आठवीं मंजिल – भगवान शिव की मूर्ति इस मंजिल पर देख सकते है , साथ में आपको Haridwar और सप्त सरोवर के दृश्य को देख सकते है।
वैष्णो देवी मंदिर :-
जिस तरह जम्मू काश्मीर में वैष्णो मंदिर है , ठीक उसी तरह Haridwar में भी वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण किया गया है। यहाँ भी आपको जाने के लिए गुफा से हो कर जाना पड़ता है। वैष्णो देवी मंदिर हर की पौड़ी के बगल में है।
Haridwar में कहाँ रुके ?
Haridwar में आपको बहुत सारे Hotel मिल जायेंगे। जिसकी रेंज 300 – 20000 तक के है। Hotel के साथ – साथ यहाँ आपको बहुत सारे धर्मशाला भी मिल जाएँगे जिसकी कीमत 200 – 1000 रूपये तक है।
हरिद्वार में कहाँ खाये ?
चुकी haridwar आस्था का केंद्र है, इसलिए यहाँ आपको शराब या Non-Veg नहीं मिलेंगे , हरेक hotel में शुद्ध- शाकाहारी भोजन मिलेंगे। इसलिए आप किसी भी होटल में खाना खा सकते है।
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